सभी पाठकों को नमस्कार,
झीलों की नगरी उदयपुर ना केवल भारत में, अपितु सम्पूर्ण विश्व में पर्यटन स्थल के रूप में पसंदीदा शहर है। यहाँ की खूबसूरती देश-विदेश से लाखों पर्यटकों को प्रतिवर्ष यहाँ खींच लाती है। Yatrafiber के आज के ब्लॉग में मैं उदयपुर के एक प्रमुख आकर्षण 'उड़नखटोला' यानि रोप वे तथा करणी माताजी मंदिर के बारे में बताने जा रही हूँ।
उड़नखटोले की यात्रा का अनुभव प्राप्त करने के लिए सबसे पहले दूधतलाई पहुँचना होता है। उदयपुरसिटी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी महज 3 किमी है। उदयपुर बस स्टेण्ड से भी मात्र 3.5 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यदि आप हवाई यात्रा करके उदयपुर पहुँचते हैं, तो डबोक हवाईअड्डे से दूधतलाई 26 किमी की दूरी पर स्थित है।
दूधतलाई के पास ही मचला मगरा पहाड़ी पर करणी माताजी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। दूधतलाई से करणी माताजी मंदिर तक जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पैदल यात्रा का है, जिसमें सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर तक पहुँचना पड़ता है और दूसरा रोमांचक रास्ता है - रोप वे।
रोप वे तक पहुँचने के लिए दूधतलाई से कुछ मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। ऑटोरिक्शा, निजी वाहन या पैदल ही आसानी से रोप वे तक पहुँचा जा सकता है। रोप वे पहुँचकर सबसे पहले टिकट लेनी होती है। टिकट का मूल्य आने व जाने दोनों का मिलाकर 117 रुपये/व्यक्ति है। यदि आप कपल टिकट यानि व्यक्तिगत रूप से पूरी ट्रॉली बुक करना चाहते हैं तो उसके लिए 450 रुपये चुकाने होते हैं।
टिकट लेने के बाद अपनी बारी आने का इंतजार करना होता है। इंतजार करते समय यहाँ स्थित रेस्तरां में बैठकर नाश्ते-खाने का आनंद भी लिया जा सकता है। हरी-भरी पहाड़ी पर ऊपर-नीचे आती-जाती ट्रॉलियों को देखते हुए पसंदीदा व्यंजनों का लुत्फ उठाने का भी अलग ही मजा है।
रोप वे यानि रस्सी से बना हुआ रास्ता। दरअसल रोप वे में एक केबल के सहारे ट्रॉली लटकी हुई रहती है और केबल की गति के साथ ही ये ट्रॉली ऊपर या नीचे गति करती है। एक ट्रॉली में 6-8 लोगों के बैठने की जगह होती है। बैठने के लिए आमने-सामने सीट होती हैं तथा चारों ओर काँच लगा होता है, ताकि आसपास के नजारों को देखा जा सके।
करणी माताजी रोप वे राजस्थान का दूसरा रोप वे है। इसकी लम्बाई 387 मीटर है। इसे पूरा करने में लगभग 3-4 मिनट का समय लगता है। यहाँ ऊपर व नीचे आने-जाने के लिए तीन-तीन ट्रॉलियाँ लगी हुई हैं। रोप वे द्वारा यात्रा करने का समय प्रातः 9:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक का है। मौसम के अनुसार यह समय बदला भी जा सकता है।
लाल, पीली, हरी इन रंग-बिरंगी ट्रॉलियों में बैठकर पहली बार यात्रा करने के अनुभव का शब्दों में वर्णन कर पाना भी कठिन कार्य है। नीचे गहरी घाटी और दूर तक फैली हरियाली के बीच हवा में लटके होने का अहसास हर किसी को रोमांचित कर देने के लिए काफी है। केबल के सहारे लटकी ट्रॉलियों में बैठकर मनोरम वातावरण की सैर का अनुभव किसी के लिए भय मिश्रित रोमांच वाला हो सकता है तो किसी के लिए एक मजेदार झूले का आनंद लेने जैसा। ऊपर जाते समय जब नीचे आने वाली ट्रॉलियाँ पास से गुजरती हैं तो सबका उत्साह अपने आप बढ़ जाता है।यात्रा के दौरान पिछोला झील का बड़ा ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है। प्रकृति की नायाब चित्रकारी को निहारते हुए यह छोटी सी यात्रा इतनी जल्दी पूरी हो जाती है कि एक बार को ट्रॉली से उतरने का भी मन नहीं होता है।
ट्रॉली से उतरने के बाद करणी माताजी के मंदिर तक पहुँचने के लिए कुछ मीटर पैदल चलना पड़ता है। करणी माताजी को मंशापूर्णा माँ यानि मन की इच्छा पूरी करने वाली माता कहा जाता है। अनेक लोकगीतों में करणी माँ की महिमा का गुणगान किया गया है। लोगों के मन में करणी माँ के प्रति अगाध श्रद्धा है। यहाँ दूर-दूर से भक्त माताजी के दर्शन हेतु तथा अपनी मनौती हेतु आते हैं।
मुख्य गर्भगृह में ममतामयी करणी माँ की सुंदर प्रतिमा सुशोभित है। माताजी का बहुत ही सुंदर श्रृंगार किया जाता है, जिसके दर्शन पाते ही भक्तों का मन आनंद से झूम उठता है। जयकारों के बीच श्रद्धापूरित वातावरण में माँ के आगे शीश नवाकर मन को असीम शांति की प्राप्ति होती है। माताजी की प्रतिमा के साथ सेल्फी लेने पर सख्त मनाही है। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ भी स्थापित की गई हैं।
करणी माताजी मंदिर के अतिरिक्त पहाड़ी पर 'व्यू पॉइंट्स' भी बने हुए हैं, जहाँ से उदयपुर शहर के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। दूर तक फैले उदयपुर की खूबसूरती को निहारने के लिए यह एक उत्तम स्थान है।
पहाड़ी पर ऊपर से नीचे गहराई तक फैली हरियाली और सामने हिलोरे लेती पिछोला झील में तैरती नावों का आकर्षक नजारा पर्यटकों को यहाँ काफी देर तक बैठने पर मजबूर कर देता है। यहाँ ऊपर भी रेस्तरां होने के कारण खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है। स्वादिष्ट व्यंजनों का जायका लेते हुए दूर पहाड़ी पर स्थित सज्जनगढ़ का किला, फतहसागर झील, पिछोला झील, दूधतलाई के साथ-साथ उदयपुर शहर के शानदार नजारों को देखना हर किसी को लुभाता है। यहाँ फिश थैरेपी का अनुभव भी लिया जा सकता है।
यहाँ कई फोटोग्राफर भी उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से यहाँ की खूबसूरत यादों को कैमरे में कैद करवाया जा सकता है। आधे से एक घंटे में फोटो का प्रिंट उपलब्ध करवा दिया जाता है। फोटो के आकार के आधार पर अलग-अलग शुल्क निर्धारित हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ राजस्थानी पोशाक भी किराये पर मिलती है, जिन्हें पहनकर सुंदर-सुंदर फोटो खिंचवाई जा सकती हैं।
पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली यहाँ की एक और विशेषता है, यहाँ से दिखने वाला सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य। ढ़लती साँझ के साथ जब सूरज बड़े से लाल गोले के रूप में सामने फैली पिछोला झील के पानी में उतरता सा प्रतीत होता है, तो प्रकृतिप्रेमियों का मन कुदरत की इस चित्ताकर्षक दृश्यावली में खोकर रह जाता है। आसमान में फैली सूरज की लालिमा मानो झील के पानी में भी सिंदूरी आभा छिटका देती है। बहुत से लोगों को इस सुंदर दृश्य की तस्वीरें लेते हुए देखा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त यहाँ से रात को रोशनी में नहाए उदयपुर की जगमगाहट को देखना भी एक अलग ही अनुभव है। ऐसा लगता है मानो हजारों दीप एक साथ जल उठे हों।
चारों ओर के मनमोहक दृश्य, करणी माँ के दर्शन, सूर्यास्त का शानदार नजारा और उड़नखटोले की रोमांचक यात्रा का अनुभव अपनी यादों के पिटारे में जोड़ने के लिए उदयपुर आने वाले सभी पर्यटक रोप वे को अपनी यात्रा में अवश्य ही शामिल करते हैं।
बहुत आकर्षक है
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंNice 👍👍
जवाब देंहटाएंThanks 🙂
हटाएंSuper
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंबेहद सजीव चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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