सिलिसेढ़ झील, अलवर
नमस्कार प्रिय पाठकों,
Yatrafiber के आज के ब्लॉग में मैं राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सिलिसेढ़ झील के बारे में बताना चाहूँगी। राजस्थान का नंदन कानन कहलाने वाली सिलिसेढ़ झील अपनी सुंदर दृश्यावली, होटल लेक पैलेस, बॉटिंग, मत्स्य पालन तथा मगरमच्छों की उपस्थिति के कारण अलवर के सबसे लोकप्रिय स्थलों में शामिल है।
राजस्थान की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक सिलिसेढ़ झील अलवर जिले में स्थित है। यह अलवर शहर से लगभग 26 किमी दूर शांत वातावरण में स्थित है। अलवर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 24 किमी है। सिलिसेढ़ झील का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो कि यहाँ से लगभग 160 किमी की दूरी पर स्थित है। इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 165 किमी है। दोनों ही जगहों से बस या ट्रेन के द्वारा अलवर पहुँचा जा सकता है। अलवर से निजी वाहन करके आसानी से सिलिसेढ़ झील तक पहुँचा जा सकता है।
मीठे पानी की इस झील का निर्माण महाराज विनय सिंह ने सन् 1845 में शहर में जल आपूर्ति हेतु करवाया था। पहाड़ों से घिरी इस खूबसूरत झील के किनारे पर महाराज विनय सिंह ने अपनी पत्नी हेतु 6 मंजिला शाही महल का निर्माण भी करवाया था। वर्तमान में इस महल में 'राजस्थान पर्यटन विकास निगम' द्वारा 'लेक पैलेस' नाम से होटल चलाया जा रहा है।
सिलिसेढ़ झील घूमने का समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक का है। होटल लेक पैलेस से झील का सुंदर नजारा देखने हेतु 100 रुपये/व्यक्ति शुल्क चुकाना होता है। इन 100 रुपयों में अंदर जाने के टिकट के अतिरिक्त एक पानी की बॉटल या कॉफी या कोल्ड ड्रिंक शामिल होती है। पानी की बॉटल, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक तीनों में से अपनी पसंद की कोई भी एक चीज होटल लेक पैलेस के रेस्तरां में टिकट दिखाकर प्राप्त की जा सकती है।
सिलिसेढ़ झील में बॉटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है। यहाँ मोटर बॉट तथा जेट स्की की सुविधा उपलब्ध है। 8 व्यक्तियों की क्षमता वाली मोटर बॉट का शुल्क 800 रुपये यानि 100 रुपये/व्यक्ति चुकाना होता है। बॉटिंग करते समय लाईफ जैकेट पहनना अनिवार्य है। लाईफ जैकेट एक सुरक्षा उपकरण है। यदि दुर्घटनावश नाव पलट जाती है, तो लाईफ जैकेट लोगों को डूबने से बचाती है।
हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी शांत व सुरम्य झील की सतह पर तैरती नाव में बैठकर प्रकृति की खूबसूरती को महसूस करना एक आनंददायक अनुभव है। नाव के चलने से झील की सतह पर बनकर दूर तक जाती जल तरंगों का मनोहारी दृश्य हर किसी को लुभाता है। बच्चों के लिए तो बॉटिंग प्रिय शगल है। जिस उत्साह से वे बॉटिंग हेतु नाव में चढ़ते हैं, समय पूरा हो जाने पर उतने ही बेमन से वे नाव से उतरते हैं। धीमी गति से चलती नाव में बैठकर झील तथा इसके आसपास के क्षेत्र को करीब से काफी अच्छे से देखा जा सकता है। मानसून के समय बारिश होने के कारण पानी से लबालब भरी सिलिसेढ़ झील और अधिक आकर्षक लगती है। आसमान में उड़ते बादलों के बीच झील के लहराते पानी में बॉटिंग करना एक शानदार अनुभव को आपकी यादों में जोड़ सकता है।
सिलिसेढ़ झील में मत्स्य पालन भी किया जाता है। इसके लिए झील में जाल लगाया जाता है तथा फिर बीज (मछलियों के छोटे बच्चे) डाले जाते हैं। जब मछलियाँ बड़ी हो जाती हैं, तो जाल को खींचकर मछलियों को निकाल लिया जाता है। पर्याप्त जल की उपलब्धता के कारण यहाँ पक्षियों की भी कई प्रजातियाँँ देखी जा सकती हैं।
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सिलिसेढ़ झील मगरमच्छों के लिए भी विख्यात है। सिलिसेढ़ झील में मगरमच्छों की भरमार है। इसी कारण इस झील को खतरनाक माना जाता है। मगरमच्छों की संख्या अधिक होती जाने पर उन्हें पास के एक तालाब में भेज दिया जाता है। सर्दियों में झील के किनारे काफी संख्या में मगरमच्छों को धूप सेकते हुए देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त मानसून में भी इनकी काफी तादात देखी जा सकती है। सिलिसेढ़ झील घूमने जाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी झील के आस-पास के सुनसान क्षेत्र में ना जाए। मगरमच्छ एक शातिर शिकारी होता है, ऐसे में सुनसान क्षेत्र या झील के एकदम किनारे पर जाना बेहद खतरनाक हो सकता है। मगरमच्छ देखने के जुनून में कुछ लोग जान जोखिम में डालकर झील के निर्जन किनारों के पास पहुँच जाते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए।
सिलिसेढ़ झील पर एक बाँध भी बना हुआ है। लेक पैलेस से हरी-भरी पहाड़ियों की तलहटी में फैली हुई सिलिसेढ़ झील का मनमोहक नजारा दिखाई देता है। झील के किनारे रात बिताने के इच्छुक सैलानी होटल लेक पैलेस में रूक सकते हैं। लेक पैलेस की छत पर बैठकर इस शांत व सुंदर झील के मनोरम दृश्यों को देखते हुए शाम बिताना एक सुखद अनुभव है। झील के जल को छूकर आने वाली शीतर बयार मन को ताजगी से भर देती है। झील के बीच में एक मंच जैसी आकृति बनी हुई है। कहा जाता है कि राजा-महाराजाओं के समय में इसपर नृत्य-संगीत किया जाता था। सिलिसेढ़ झील के खूबसूरत परिदृश्य के कारण यहाँ कुछ फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है।
लेक पैलेस के रेस्तरां के अंदर या बाहर खुली छत पर बैठकर खाने-पीने का आनंद लिया जा सकता है। बाहर छत पर बैठकर झील के प्राकृतिक दृश्यों को निहारते हुए खाने का लुत्फ उठाना सभी को बहुत पसंद आता है। लेकिन यहाँ बैठकर कुछ भी खाते समय बंदरों से सावधान रहना बहुत जरूरी है। सिलिसेढ़ झील के आसपास के क्षेत्र में बंदरों की भरमार है। थोड़ा सा ध्यान इधर-उधर होते ही ये शैतान बंदर पर्यटकों के हाथों से खाने-पीने की सामग्री छीनकर भाग जाते हैं। अतः रेस्तरां के अंदर बैठकर खाना एक बेहतर विकल्प है। बाहर के प्राकृतिक वातावरण में चाय-कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए, दोस्तों या परिवार के साथ गपशप करते हुए अच्छा समय बिताया जा सकता है।
भीड़भाड़ व शोरगुल से दूर एकांत में शांति से समय बीताने के इच्छुक लोगों के लिए यह एक पसंदीदा स्थल है, जहाँ वे सुकून से बैठकर प्राकृतिक खूबसूरती को निहारते हुए समय बीता सकते हैं। निःसंदेह यहाँ की मन को तरोताजा कर देने वाली आबोहवा, एक नई ऊर्जा देने वाली है।
आपने सिलीसेढ़ का विवरण बहुत ही शानदार तरीके से बताया है थैंक यू
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंआपने राजस्थान के पर्यटक स्थलों का सुमधुर भाषा में सजीव चित्रण किया है आपके लेख को पढ़ते हुए पाठक यह महसूस करता है कि वह स्वयं पर्यटक स्थल पर उपस्थित हो। आपने राजस्थान के सामान्य ज्ञान को मोतियों की माला के रूप में पिरोया है। आपकी लेखनी सदैव यूं ही काव्यात्मक लेखों से पाठकों को लाभान्वित करते रहे।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु बहुत-2 धन्यवाद 🙏
हटाएंBeautifully narrated and having all the information in detail. Thanks and keep it up👍
जवाब देंहटाएंThanks bro ❤️
हटाएंशानदार दृश्य और उतना ही शानदार वर्णन
जवाब देंहटाएंगजब
धन्यवाद 🙏
हटाएंBahut sahndar medam
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंबहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से लिखा है आपने सिलिसेढ झील के बारे में।बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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