रोमांचक जलीय खेल (Adventurous Water Sports)
हैलो दोस्तों,
पानी में अठखेलियाँ करना छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक सभी को बहुत पसंद होता है। इसी पानी के साथ रोमांच जोड़ दिया जाए तो बन जाते हैं - वाटर स्पोर्ट्स। Yatrafiber का आज का ब्लॉग उन वाटर स्पोर्ट्स से संबंधित है, जिनका अनुभव हमने अपनी विभिन्न यात्राओं के दौरान किया है।
बॉटिंग (Boating)
जलीय खेलों में सबसे आसान व काफी जगहों पर उपलब्ध नाव की सवारी करना सभी को पसंद आता है। नाव भी कई प्रकार की होती हैं। हमारा अनुभव मैं यहाँ साझा कर रही हूँ।
सबसे साधारण इंजन की सहायता से धीमी गति से चलने वाली नाव होती है, जो कि साधारणतः 15-20 सवारियों की क्षमता वाली होती है। उदयपुर की पिछोला झील, जयसमंद झील तथा गोआ के बागा बीच पर हमने इस तरह की नाव में सवारी का आनंद लिया था। धीमी गति से चलने के कारण आस-पास के सुंदर नजारों को बेहतरीन तरीके से देखा जा सकता है। झील के चारों ओर सुंदर इमारतों तथा प्राकृतिक दृश्यों को करीब से देखने व कैमरे में कैद करने की चाहत के कारण हमने इस नाव की सवारी करना पसंद किया। इसका शुल्क तय की जाने वाली दूरी के अनुसार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग होता है।
पैडल बॉट (Pedal Boat)
पैडल बॉट भी लोगों के द्वारा काफी पसंद की जाती है। इस तरह की नाव में पैडल बने होते हैं तथा सवारी को खुद पैडल मारकर नाव चलानी होती है। यानि कि नाव में घूमने के साथ-साथ उसे चलाने का अनुभव भी मिलता है। बहुत से पार्कों, रिसोर्ट्स तथा होटलों में भी छोटे कृत्रिम तालाब बनवाकर उनमें इस तरह की नाव उपलब्ध करवाई जाती हैं। हमने उदयपुर के सुखाड़िया सर्किल, अजमेर के दौलत बाग, ऊटी की ऊटी झील तथा माउंट आबू की नक्की झील में पैडल बॉट की सवारी करना पसंद किया। नाव चलाने के लिए स्वयं पैडल मारने पर मेहनत तो काफी लगती है, लेकिन इसका भी अपना अलग ही आनंद आता है। जहाँ मर्जी नाव रोक लो, जब मर्जी चलाओ, सुंदर प्राकृतिक दृश्यों को बिल्कुल करीब जाकर देखने जैसे अनुभव पैडल बॉटिंग के दौरान हमें मिले।
ये नाव दिखने में भी बहुत खूबसूरत सी लगती हैं, कोई बतख की आकृति वाली तो कोई मेंढक की आकृति वाली, कोई कबूतर जैसी तो कोई ड्रेगन के आकार में ढ़ली हुई। इसलिए इनमें बैठकर फोटो खिंचवाना सभी को अच्छा लगता है। ये नाव दो या चार सवारी वाली ही होती हैं तथा इनका शुल्क विभिन्न स्थानों पर दूरी के अनुसार अलग-अलग होता है।
स्पीड बॉट (Speed Boat)
स्पीड बॉट का तो नाम सुनकर ही पता चल जाता है कि इसकी गति बेहद तीव्र होती है। यह 15-20 मील/घंटा की रफ्तार से जलीय सतह पर दौड़ती है। इसमें चालक के अलावा 2 से 6 लोगों के बैठने की जगह होती है। तेज गति से चलती नाव, सामने जल से आती शीतल हवा, उड़ते पानी के छींटे सब कुछ मिलाकर एक शानदार अनुभव भ्रमण की यादों में शामिल कर देते हैं। हमने उदयपुर की फतेहसागर झील, गोआ के अंजुना बीच, ऊटी की पायकारा झील, केरल के कोवलम बीच, अंडमान व निकोबार के कोर्बिन कॉव बीच, अलवर की सिलीसेढ़ झील जैसे स्थलों पर स्पीड बॉट की तेज सवारी का आनंद लिया।
ऊटी की पायकारा झील में नौकायन करना काफी यादगार अनुभव रहा, क्योंकि इस दौरान हमें बायसन(जंगली भैंसा) से रूबरू होने का मौका मिला। पायकारा झील के पास वन्य क्षेत्र में बायसन बहुतायत में पाए जाते हैं। स्पीड बॉट की सवारी का आनंद लेते समय हमें एक किनारे की तरफ बायसनों का समूह दिखाई दिया। नौचालक ने उनसे कुछ दूरी पर हमारी नाव रोक दी। जिस कौतूहल से हम उन्हें देख रहे थे, उसी कौतूहल से वे भी हमें देख रहे थे। लेकिन शायद उन्हें हमारा वहाँ होना रास नहीं आया, तभी तो कुछ ही मिनटों में एक-एक कर वे सभी जंगल के अंदर चले गए।
जेट स्की (Jet Ski)
जेट इंजन लगा होने के कारण इसे जेट स्की कहा जाता है। इसे साधारण भाषा में वाटर स्कूटर भी कहते हैं। इसपर एक या दो लोग बैठ सकते हैं तथा यह तेजी से पानी पर दौड़ता है। इसका शुल्क 200-350 रुपये/व्यक्ति होता है। गोआ तथा केरल भ्रमण के दौरान हमने जेट स्की का आनंद लिया। समुद्री लहरों के बीच जेट स्की चलाने के लिए पूर्ण दक्षता होना आवश्यक है। अतः जेट स्की करने वाले सैलानी को स्कूटर को पकड़कर बस आगे बैठना होता है, जबकि स्कूटर को तेजी से चलाने का कार्य प्रशिक्षक के द्वारा किया जाता है। पानी को चीरकर तेजी से चलता जेट स्की जब समुद्र की लहरों पर कूदता हुआ आगे बढ़ता है तो रोमांच दुगुना हो जाता है। इसकी तेज गति के कारण सामने से शीतल हवा के साथ आती पानी की फुहारें मन को तरोताजा कर देती हैं। बहुत सी फिल्मों में हीरो को जेट स्की दौड़ाते हुए देखा जा सकता है। बहरहाल रोमांचकारी जलीय खेल पसंद करने वाले सैलानियों की सूची में जेट स्की अवश्य शामिल होता है।
बम्पर राइडिंग (Bumper Riding)
यह एक साहसिक जलीय खेल होने के साथ-साथ थोड़ा खतरनाक भी है। इसकी आकृति वृत्ताकार होती है तथा यह ट्यूब की तरह फूली हुई होती है। इसमें दो लोगों के लिए सीट बनी होती है। सीट पर लेटकर दोनों तरफ बने हत्थों को कसकर पकड़ना होता है। इसे एक स्पीड बॉट के साथ बाँध दिया जाता है। स्पीड बॉट के साथ यह बहुत तेजी से समुद्र की लहरों पर उछलते हुए आगे बढ़ती है। 200-300 रुपये/व्यक्ति चुकाकर इसका आनंद लिया जा सकता है। गोआ के अंजुना बीच पर बम्पर राइडिंग करना हमारे लिए एक बहुत ही शानदार अनुभव रहा। सीट पर लेटे हुए एक पल को लगता कि अंदर गहराई में जा रहे हैं, तभी अगले ही पल तेजी से आती लहर ऊपर उछाल देती। गति इतनी तेज कि ठीक से संभलने का मौका भी नहीं मिलता और दूसरी लहर आ जाती। कुल मिलाकर बम्पर राइडिंग एक बहुत मजेदार जलीय गतिविधि है, केवल इसमें हाथों की पकड़ मजबूत रखनी होती है, अन्यथा चोट लगने की संभावना रहती है, जैसा कि मेरे साथ हुआ था। बम्पर राइडिंग हमारे लिए एक नया अनुभव था, अतः हाथ थोड़ा सा ढ़ीला छोड़ देने के कारण उछलते बम्पर पर टकराने से मेरे पैर पर चोट लग गई थी। हालांकि यह चोट बहुत ज्यादा गहरी नहीं थी, परन्तु अगली बार के लिए सबक जरूर थी। तो अगर आप बम्पर राइडिंग करने जा रहे हैं, अपने हाथों की पकड़ मजबूत रखें, यकीनन यह रोमांचकारी खेल आपको बहुत पसंद आएगा।
बनाना राइडिंग (Banana Riding)
सबसे साहसिक जलीय खेलों में शामिल बनाना राइडिंग करने का अनुभव हमें गोआ भ्रमण के दौरान मिला। इसमें केले के समान आकृति वाली फूली हुई ट्यूब होती है, जिसपर एक साथ 6 लोग बैठ सकते हैं। इसपर पकड़ने के लिए रस्सी के हत्थे बने होते हैं। इसे स्पीड बॉट के पीछे बाँध दिया जाता है। यह स्पीड बॉट के साथ समुद्री लहरों पर बेहद तीव्र गति से चलने वाली बनाना राइडिंग करना सबके बस की बात नहीं है। क्योंकि लगभग 1-1.5 किमी की दूरी तय करने के बाद स्पीड बॉट को तेजी से घूमाकर बनाना ट्यूब पर बैठे लोगों को समुद्र के खारे पानी में गोते लगाने के लिए गिरा दिया जाता है। हालांकि लाईफ जैकेट पहनी होने के कारण जीवन को कोई खतरा नहीं होता है, परन्तु फिर भी बहुत से सैलानी दूसरे लोगों को बनाना राइडिंग करते देखकर ही पीछे हट जाते हैं। बनाना राइडिंग पर जाते समय हमारे मन में भी भय था, अतः हमने स्पीड बॉट चालक से पहले ही कह दिया था कि वे हमें बनाना ट्यूब पर बैठाकर समुद्र की सिर्फ सैर करा लाएं, लेकिन हमें गिराएं नहीं। हम तो नहीं गिराए जाने के विश्वास के साथ बनाना राइडिंग के मजे ले रहे थे, परन्तु नौचालक के दिमाग में अलग ही शैतानी चल रही थी, तभी तो उन्होंने अचानक इतनी तेजी से नाव को घुमाया कि हमें पता ही नहीं चला कि कब हमारे हाथ छूटे और कब हम समुद्र में जा गिरे। गिरने के साथ ही समुद्र के अंदर जाते समय एक पल को तो लगा कि साँस ही रूक गई है, आज हम जीवित नहीं बचने वाले, परन्तु अगले ही पल लाईफ जैकेट ने हमें तुरंत समुद्र की सतह पर पहुँचा दिया। आँखें खोलीं तो वाकई बेहद शानदार नजारा था। चारों तरफ समुद्र का हरा पानी और उसमें गोते लगाते हम। थोड़ी देर तक हमने वहीं समुद्र में डुबकियाँ लगाने का आनंद लिया। फिर चालक महोदय की सहायता से हम वापस बनाना ट्यूब पर बैठकर किनारे की ओर चल दिए। जब नौचालक ने हमसे इस तरह बिना बताए समुद्र में गिराने के अनुभव के बारे में पूछा तो हमारा जवाब था - बेहद मजेदार, शानदार, लाजवाब। अगर हमें नहीं गिराया जाता तो हम इस अनूठे अनुभव से वंचित रह जाते। बनाना राइडिंग हमारे द्वारा की गई सबसे रोमांचक जलीय गतिविधियों में से एक है। इसका शुल्क 200-250 रुपये/व्यक्ति चुकाना होता है।
स्नॉर्कलिंग (Snorkeling)
यह भी एक मजेदार जलीय गतिविधि है। पानी के अंदर के दृश्यों को देखने के लिए स्नॉर्कलिंग की जाती है। इसके लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें एक 30-40 सेमी लंबी रबड़ या प्लास्टिक की नली होती है, जिसे स्नॉर्कल कहा जाता है। स्नॉर्कल के एक सिरे को अपने जबड़ों के बीच दाँतों में फँसाकर रखना होता है, ताकि पानी के अंदर श्वांस ली जा सके। स्नॉर्कल का दूसरा सिरा स्वतंत्र होता है तथा बाहर जल की सतह पर निकला रहता है। इसके अतिरिक्त एक चश्मा होता है, जो कि जल को आँखों में जाने से रोकता है। तैराकों द्वारा तैराकी के समय ऐसे चश्मों का ही उपयोग किया जाता है। स्नॉर्कलिंग करते समय पानी के अंदर गहराई में नहीं जाना होता है, बल्कि जलीय सतह पर तैरते हुए केवल गर्दन से ऊपर वाले भाग को पानी में डुबोकर अंदर के दृश्यों को देखा जाता है। अंडमान व निकोबार भ्रमण के दौरान स्वराज(हैवलॉक) द्वीप के खूबसूरत एलिफेंटा बीच पर हमने मूँगा/प्रवाल भित्ति(कोरल रीफ) को देखने के लिए स्नॉर्कलिंग की थी। हमें तैरना नहीं आने के कारण हमने स्नॉर्कल व चश्मे के अतिरिक्त ट्यूब भी ली थी, ताकि उसकी सहायता से आसानी से तैरा जा सके। इसके अलावा हमारे साथ. एक प्रशिक्षक भी था। यदि किसी को तैरना आता है तो उसे ट्यूब की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु प्रशिक्षक या गाइड का साथ होना आवश्यक है, क्योंकि उन्हें उस क्षेत्र की संपूर्ण जानकारी होती है।
अंडमान व निकोबार की कोरल रीफ विश्वप्रसिद्ध है तथा यहाँ आने वाले पर्यटक इसे अवश्य देखना चाहते हैं। दरअसल मूँगा एक ऐसा जीव है, जो कि समूह में रहता है। इनपर कैल्शियम कार्बोनेट से बना कवच होता है, जो कि समुद्रतल में जमता रहता है। यह रंगबिरंगी चट्टानों जैसा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। स्नॉर्कलिंग के दौरान जैसे ही हमने गर्दन पानी में डुबाई, अंदर का दृश्य देखते ही रह गए। चारों तरफ कोरल रीफ की रंगबिरंगी चट्टानें देख ऐसा लग रहा था, मानो किसी दक्ष कलाकार ने उन्हें बनाकर वहाँ स्थापित किया हो। उन्हें देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि वे किसी जीव का कवच हैं। चारों तरफ छोटी-बड़ी कई प्रकार की रंगबिरंगी मछलियाँ तैर रही थीं।
कोरल रीफ के साथ बहुत से जलीय पौधे भी उगे हुए थे, जो वहाँ की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। समुद्र तल में सफेद रेत की परत बिछी हुई थी। मछलियों के अतिरिक्त और भी बहुत से जलीय जीवों का बसेरा कोरल रीफ के आस-पास था, क्योंकि वहाँ उन्हें भोजन व सुरक्षा दोनों मिल जाते हैं। लगभग आधे घंटे स्नॉर्कलिंग करने के बाद जब हम समुद्र तट पर पहुँचे तो ऐसा लग रहा था, मानो हम किसी जादुई दुनिया में होकर आए हैं। पानी की गहराई में जाने से डरने वाले लोग यदि समुद्र के अंदर की दुनिया देखना चाहते हैं, तो स्नॉर्कलिंग उनके लिए एक बेहतर विकल्प है।
जोर्ब बॉल (Zorb Ball)
यह भी एक मजेदार जलीय खेल है। इसे वाटर रोलर के नाम से भी जाना जाता है। माउंट आबू की यात्रा के दौरान हमने जोर्ब बॉल को को लुढ़काने वाले इस खेल का आनंद लिया था। इसमें प्लास्टिक का एक रोलर होता है, जिसकी दीवारों को पम्प से हवा भरकर फुलाया जाता है। अंदर से यह खोखला होता है। दोनों तरफ हवा पार होने तथा अंदर आने-जाने के लिए स्थान होता है। इसमें दो या तीन लोग अंदर जा सकते हैं, फिर इस रोलर को पानी में उतार दिया जाता है। रोलर का एक सिरा रस्सी से किनारे पर बँधा रहता है। पानी पर तैरते रोलर के अंदर बैठकर या खड़े होकर उसे तेजी से लुढ़काने में बड़ा ही मजा आता है। ऐसा करते हुए बचपन में प्लास्टिक की टंकी के अंदर घुसकर उसे लुढ़काने वाले खेल से जुड़ी यादें ताजा हो गईं। इस प्रकार हमने जोर्ब बॉल में बच्चों की तरह बहुत मस्ती की। बचपन की यादों में पहुँचा देने वाले इस जलीय खेल में गिरने या चोट लगने का खतरा नहीं होने के कारण यह सभी सैलानियों को बहुत पसंद आता है। इसका शुल्क 200-250 रुपये/व्यक्ति लगता है।
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माउंट आबू यात्रा PART-1
माउंट आबू यात्रा PART-2
पैरासेलिंग (Parasailing)
सबसे रोमांचक जलीय गतिविधियों में शामिल पैरासेलिंग करने का मौका हमें गोआ के अंजुना बीच पर मिला। गोआ के अंजुना बीच, बागा बीच तथा कलंगुट बीच पैरासेलिंग के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं। इसमें एक विशेष प्रकार के पैराशूट को स्पीड बॉट के पीछे बाँधकर उड़ाया जाता है। इस पैराशूट को पैरासेल कहा जाता है। कई फिल्मों में हीरो-हीरोइन इस मजेदार गतिविधि का आनंद लेते दिखाए गए हैं। पैरासेलिंग के लिए हम 5-6 लोग स्पीड बॉट में बैठकर समुद्र में लगभग 1 किमी दूर पहुँचे। हमारी बॉट में पीछे पैरासेल रस्सी के सहारे बँधा हुआ था। एक बार में एक या दो व्यक्ति ही पैरासेलिंग कर सकते हैं। पैरासेलिंग करने वाले व्यक्ति को पैराशूट के साथ जुड़े बेल्ट की मदद से मजबूती से बाँध दिया जाता है। पैराशूट पूरी तरह नौचालक के नियंत्रण में रहता है, जबकि पैरासेलिंग करने वाले व्यक्ति का इसपर कोई नियंत्रण नहीं होता है। बहुत से लोग तो दूसरों को यूँ पैराशूट से बँधकर ऊँचाई पर उड़ते हुए तथा पानी में डुबकी लगाते देख कर ही घबरा जाते हैं तथा पैरासेलिंग करने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं, लेकिन वास्तव में इसमें कोई खतरा नहीं है। जब दो लोगों के बाद मेरी बारी आई तो मैं पैरासेलिंग करने के लिए बेहद उत्साहित थी, क्योंकि किसी फिल्म में पहली बार पैरासेलिंग के दृश्य को देखने के बाद से ही पैरासेलिंग करना मेरी इच्छासूची में शामिल था।
पैरासेल की बेल्ट को अच्छी तरह बाँधने के बाद शरीर को आरामदायक स्थिति में ढ़ीला छोड़ना होता है। फिर नौचालक धीरे-धीरे रस्सी छोड़ना शुरू कर देता है। नाव छोड़कर समुद्र के ऊपर धीरे-धीरे ऊँचाई की ओर उठते जाना मन को रोमांच से भर देता है। पूरी ऊँचाई पर जाने के बाद जब तेजी से पैरासेल को नीचे लाकर समुद्र के पानी में गोते लगवाए जाते हैं तो यह रोमांच दुगुना-तिगुना हो जाता है। पैरासेल से बाँधकर यूँ समुद्री जल में अठखेलियाँ करवाने वाली यह साहसिक लेकिन मजेदार गतिविधि पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है। डुबकियाँ लगवाने के बाद कुछ मिनटों तक पूर्ण ऊँचाई पर उड़ते रहने का अनुभव मिलता है। ऊँचाई से नाव भी छोटे टब जैसी दिखाई देने लगती है। पैरासेल से नीचे फैले हरे समुद्र तथा उसमें उठती लहरों का ऐसा शानदार नजारा दिखाई देता है कि वापस नीचे उतरने का मन ही नहीं होता है। समुद्र की सतह पर विभिन्न जलक्रिड़ाएँ तथा दौड़ती नौकाएँ, ऊपर हवा में तैरते रंग-बिरंगे पैरासेल, समुद्र तट पर पानी में मस्ती करते तथा खाने-पीने का लुत्फ उठाते सैलानी, ऐसा खुशनुमा माहौल किसी का भी तनाव दूर करने के लिए काफी है। पैरासेल जब धीरे-धीरे वापस नाव की ओर आता है तो शरीर बिल्कुल हल्का महसूस होता है। ऐसा लगता है, मानो हम हवा में तैरते हुए नीचे उतर रहे हैं। मेरे बाद मेरे पति पैरासेलिंग हेतु गए। उन्हें पैरासेलिंग करना इतना अधिक रास आया कि उन्होंने पहले से ही दो बार डुबकियाँ लगवाने का शुल्क चुका दिया। साधारणतया पैरासेलिंग का शुल्क 700-800 रुपये/व्यक्ति होता है तथा डुबकियाँ लगवाने के लिए अतिरिक्त 300 रुपये/व्यक्ति का भुगतान करना होता है। पैरासेलिंग का अनोखा अनुभव हमारे लिए गोआ भ्रमण के सबसे यादगार लम्हों में से एक है।
(गोआ में जलीय गतिविधियों पर पैकेज भी मिलता है। यहाँ स्पीड बॉट, बम्पर राइडिंग, बनाना राइडिंग, जेट स्की तथा पैरासेलिंग पाँचों खेलों का अनुभव 1300-1500 रुपये/व्यक्ति चुकाकर लिया जा सकता है।)
स्कूबा डाइविंग (Scuba Diving)
जल में डूब गए जहाजों या बहुमूल्य वस्तुओं को ढ़ूँढ़ने के लिए की जाने वाली गोताखोरी का वर्तमान में मनोरंजन के क्षेत्र में विशेष स्थान है। पानी के अंदर गहराई में जाकर जलीय जीवन को करीब से देखने के लिए स्कूबा डाइविंग की जाती है। स्कूबा डाइविंग में स्कूबा नाम का विशेष श्वसन उपकरण होता है, जिसका उपयोग गोताखोरी के समय श्वांस लेने के लिए किया जाता है। स्कूबा डाइविंग करते समय ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर साथ लेकर जाते हैं, ताकि पानी के नीचे आसानी से श्वांस लेते हुए अधिक समय बिताया जा सके। इस ऑक्सीजन सिलेंडर से एक नली जुड़ी होती है, जो कि मुँह में आसानी से फिट हो जाती है, इसे जबड़ों के बीच दबाकर रखना होता है। इसी से श्वांस लेने हेतु गैस अंदर खींची जाती है तथा श्वांस छोड़ने पर गैस बुलबुलों के रूप में पानी में छोड़ दी जाती है। नाक पूर्णतया ढ़की रहती है। आँखों पर भी तैराकी के समय काम में लिया जाने वाला चश्मा लगाया जाता है। स्कूबा डाइविंग के लिए जाने वाले व्यक्ति को विशेष प्रकार के वस्त्र पहनने पड़ते हैं, जो पानी के अंदर दबाव से शरीर की रक्षा करते हैं तथा उत्पलावनता भी प्रदान करते हैं। पैरों में भी फिन्स बाँधे जाते हैं, ताकि तैरने में आसानी रहे।
स्कूबा डाइविंग करवाने वाले व्यक्ति के पास विशेष प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र तथा लाइसेंस होना आवश्यक है। स्कूबा डाइविंग करने के इच्छुक व्यक्तियों को भी पानी के अंदर की परिस्थितियों को समझने हेतु पहले प्रशिक्षण दिया जाता है तथा बाद में पानी के अंदर भी प्रशिक्षक साथ ही रहता है। हमने अंडमान व निकोबार के स्वराज(हैवलॉक) द्वीप पर स्कूबा डाइविंग की थी। इसका शुल्क 4000-6000 रुपये/व्यक्ति होता है। यहाँ लगभग 10-15 मीटर की गहराई तक स्कूबा डाइविंग करवाई जाती है। प्रशिक्षण व स्कूबा डाइविंग को मिलाकर कुल एक घंटे का समय लगता है।
स्कूबा डाइविंग के वस्त्रों तथा सभी उपकरणों से लेस होने के बाद हमें भी 15-20 मिनट प्रशिक्षण दिया गया तथा उसका अभ्यास करवाया गया। प्रशिक्षण के बाद पहली बार समुद्री जल के अंदर जाने के लिए हम बेहद उत्साहित थे। कुछ दूरी समुद्र की सतह पर तय करने के बाद जब हमने पानी के अंदर प्रवेश किया तो वहाँ का सुंदर नजारा देखते ही रह गए। ऊपर मीलों तक फैले नीले सागर के नीचे एक पूरी दुनिया बसी हुई थी। चारों तरफ कोरल रीफ (मूँगे की चट्टान) की रंग-बिरंगी चट्टानें बेहद शानदार नजारा प्रस्तुत कर रही थीं। समुद्र में समूह में रहने वाले एक नन्हे से जीव के कैल्शियम कार्बोनेट से बने कवच जमा होते-होते इतनी बड़ी-बड़ी और खूबसूरत चट्टानों का निर्माण कर देते हैं कि ये किसी दक्ष कलाकार की कलाकारी से कम नहीं लगतीं। ये कोरल रीफ समुद्र में रहने वाले बहुत से जीवों को भोजन व सुरक्षा प्रदान करती हैं। चारों तरफ उगी हुई जलीय वनस्पतियाँ तथा उनकी विशेष संरचनाएँ खूबसूरती में किसी उद्यान में लगी हुई पुष्प वाटिका से किसी भी प्रकार कम नहीं थीं। पास जाकर नुकसान नहीं पहुँचाने वाले ऐसे जलीय पादपों को छूकर देखने का अनुभव बिल्कुल नया था।
चारों तरफ जलीय जीवों की न जाने कितनी प्रजातियाँ तैरते हुए अपनी दुनिया में मग्न थीं। कहीं बिल्कुल नन्हीं-नन्हीं मछलियाँ झुंड बनाकर तैर रही थीं, तो कहीं कोई बड़ी मछली अकेली ही शान से विचरण कर रही थी। समुद्री दुनिया बेहद रंगबिरंगी होती है, ऐसा कोई रंग नहींं होगा, जिस रंग की वहाँ मछली ना हो। समुद्र तल में बिछी चिकनी सफेद रेत को हाथ से छूकर देखने वाला पल मैं कभी नहीं भूल सकती। कुछ छोटे-छोटे जीव चट्टानों से बाहर झाँक रहे थे। कभी कोई सफेद जलीय सर्प पास से लहराते हुए निकलकर भय मिश्रित रोमांच उत्पन्न कर देता तो कभी कोई विचित्र सी आकृति का जीव सामने आकर असमंजस में डाल देता।
बाहर कभी शांत रहकर तो कभी लहरों का गर्जन कर लोगों को आकर्षित करने वाला समुद्र अपने अंदर इतनी अधिक खूबसूरती और विविधता समेटे हुए है, जो कि आँखों से देखे जाने पर भी यकीन से परे है। यहाँ-वहाँ बिखरे शंख, सीपियाँ तथा समुद्री पत्थर समुद्र तल का श्रृंगार और बढ़ा देते हैं। समुद्री दुनिया की लुभावनी खूबसूरती में खोकर कब स्कूबा डाइविंग का समय पूर्ण हुआ, हमें पता ही नहीं चला। बाहर के शोरगुल से अलग सागर की गोद में बसी इस बेहद हसीन व मनमोहक जलीय दुनिया को देखकर हम प्रकृति की कलाकारी के कायल हुए बिना न रह सके। जलीय रोमांच पसंद करने वाले व्यक्तियों के लिए स्कूबा डाइविंग एक बहुत अच्छा विकल्प है।
उपर्युक्त वर्णित सभी जलीय गतिविधियों के दौरान हमने लाईफ जैकेट पहनी हुई थी। यह एक सुरक्षा उपकरण है, जो कि व्यक्ति को पानी में डूबने से बचाता है। गहरे जल में की जाने वाली सभी मनोरंजक गतिविधियों के समय लाईफ जैकेट अवश्य पहनी जानी चाहिए। इन गतिविधियों में छोटे बच्चों का शामिल होना निषेध है। इसके अतिरिक्त इन खेलों का आनंद हमेशा दक्ष प्रशिक्षक की उपस्थिति में ही लेना चाहिए तथा उनके दिशा-निर्देशों का पूर्णतः पालन करना चाहिए। क्योंकि जरा सी भी असावधानी किसी भी दुर्घटना का कारण बन सकती है, जिसके शारीरिक क्षति या जान जाने जैसे बेहद गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। यदि सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इन जलक्रीड़ाओं को किया जाए तो यकीनन आपकी यादों के खजाने में बहुत से रोमांचकारी व यादगार लम्हे जुड़ जाएँगे।
Nice
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंशानदार अनुभवों को जानदार लेखन के द्वारा अभिव्यक्ति... बहुत ही अच्छा लेखन। कोई ऐसे स्थानों का भ्रमण करते समय आपके अनुभव से लाभान्वित होगा। ऐसे लेखन और अनुभवों का बांटते रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद 🙏
हटाएंSuperb😍😄😄
जवाब देंहटाएंThanks 🙏
हटाएंShandaar mashallah. Apke saath hamne bhi sair kar li.apke anubhav hamare liye useful rahenge .keep it up mam.
जवाब देंहटाएंThanks for your valuable words 🙏
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