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रविवार, 29 नवंबर 2020

भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद का नजारा

जयसमंद झील, उदयपुर

नमस्कार प्रिय पाठकों, 

पूर्व के वेनिस के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान का खूबसूरत शहर उदयपुर देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ मौजूद छोटी-बड़ी कई सारी झीलों ने इसे झीलों की नगरी का खिताब दिलाया है। आज मैं yatrafiber पर इन्हीं में से एक जयसमंद झील के बारे में बताना चाहूँगी।

जयसमंद झील उदयपुर-सलम्बूर मार्ग पर उदयपुरसिटी रेलवे स्टेशन से लगभग 56 किमी की दूरी पर स्थित है। उदयपुर बस स्टेण्ड से इसकी दूरी लगभग 57 किमी है तथा महाराणा प्रताप हवाईअड्डे(डबोक) से इसकी दूरी लगभग 73 किमी है। रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड तथा हवाईअड्डे से सार्वजनिक बसों द्वारा अथवा निजी वाहन करके जयसमंद झील तक पहुँचा जा सकता है।

जयसमंद झील का निर्माण महाराणा जयसिंह ने करवाया था। इसका निर्माण कार्य सन् 1687 में प्रारम्भ किया गया तथा सन् 1691 में पूर्ण हुआ। जयसमंद झील एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। इसकी लंबाई लगभग 14 किमी है। इसकी अधिकतम गहराई 120 फीट है। गोमती नदी पर बाँध बनाकर इस झील का निर्माण किया गया है। इस बाँध की ऊँचाई लगभग 36 मीटर है। बाँध का निर्माण संगमरमर जैसे दिखने वाले सफेद सुमाजा पत्थरों से किया गया है। सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इससे थोड़ी दूर एक अन्य बाँध भी बनवाया गया है। महाराणा सज्जनसिंह तथा महाराणा फतेहसिंह द्वारा इन बाँधों के बीच की भूमि को समतल करवाकर वृक्षारोपण करवाया गया है। कहा जाता है कि इस बाँध के उद्घाटन के समय महाराणा जयसिंह ने अपने वजन के बराबर सोना वितरित किया था।

प्राचीन समय में ढ़ेबर के नाम से प्रसिद्ध जयसमंद झील जब पूर्णतः भरी हुई होती है तो इसका क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग किमी होता है। कहा जाता है कि निर्माण के समय इसमें 9 नदियों तथा 99 नालों का जल आकर मिलता था। परन्तु वर्तमान में गोमती तथा उसकी सहायक नदियाँ इसकी जलापूर्ति का प्रमुख साधन हैं। आस-पास के गाँवों में नहरों के द्वारा झील के पानी से जलापूर्ति की जाती है। यह भी कहा जाता है कि एक बार जयसमंद झील का जलस्तर इतना अधिक बढ़ गया था कि आसपास के लगभग 10 गाँव इसमें समा गए। आज भी ग्रीष्मकाल में जब झील का जलस्तर कम हो जाता है तो इनके अवशेष दिखाई देते हैं।

जलापूर्ति के साधन के साथ-साथ सुंदर प्राकृतिक पिकनिक स्थल के रूप में इस विशाल झील का निर्माण करवाया गया था। इसकी पाल पर नीचे झील की तरफ जाती हुई सीढ़ियाँ बनवाई गई हैं। यहाँ थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्थित सूँड उठाए हाथी की मूर्तियाँ तथा छतरियाँ स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। कहा जाता है कि शाम की शीतल हवा का आनंद लेने के लिए रानियाँ इन छतरियों में आकर बैठा करती थीं। फिलहाल सैलानी यहाँ साँझ की ठंडी हवा के झोंको का आनंद लेते देखे जा सकते हैं। यह यहाँ के खूबसूरत वातावरण की खूबी ही है कि यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई है।


Jaisamand Lake

जयसमंद झील के पास ही पहाड़ी पर रूठी रानी का महल स्थित है। यहीं पर एक हवामहल भी स्थित है। इसके अतिरिक्त झील के पास अन्य महल भी बनवाए गए हैं। जयसमंद झील में कुछ छोटे-बड़े टापू भी स्थित हैं। इनमें से सबसे बड़े टापू का नाम बाबा का मगरा तथा सबसे छोटे टापू का नाम प्यारी है। प्राचीन समय में इन टापुओं पर मीणा जनजाति का बसेरा हुआ करता था।


जयसमंद झील के एक टापू पर निजी फर्म द्वारा जयसमंद आइलैंड रिसोर्ट का निर्माण करवाया गया है। यहाँ पाँचसितारा सुविधाएँ उपलब्ध हैं। सैलानी यहाँ रूककर जयसमंद झील के नजारों के साथ स्वादिष्ट भोजन, स्वीमिंग पूल व अन्य सुविधाओं का लुत्फ उठा सकते हैं। किनारे से यहाँ तक आने-जाने के लिए नाव की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।

जयसमंद झील घूमने का शुल्क मात्र 10 रुपये प्रति व्यक्ति है। इसके अतिरिक्त झील में बॉटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है। बॉटिंग के लिए दूरी के आधार पर 100 रुपये, 200 रुपये व 300 रुपये शुल्क लिया जाता है। सैलानी अपनी इच्छानुसार कम या अधिक दूरी वाली बॉटिंग कर सकते हैं। चारों तरफ हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी स्वच्छ जल वाली जयसमंद झील की विशाल जलराशि में बॉटिंग करना बेहद सुखद अनुभव है। बॉटिंग करते समय यहाँ पक्षियों की जलक्रिड़ाएँ भी देखी जा सकती हैं। जयसमंद झील घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मानसून है। पहाड़ों से उतरकर झील में आते बादलों के बीच बॉटिंग करना किसी रोमांच से कम नहीं है। यहाँ पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। साथ ही यहाँ पर जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य भी स्थित है।



जयसमंद झील के पास नर्बदेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी स्थित है। मंदिर के बारे में पुजारी जी के द्वारा बताया गया कि इसका निर्माण भी झील के निर्माण के समय ही करवाया गया था। अतः जयसमंद झील भ्रमण के साथ शिव मंदिर में दर्शन का लाभ भी लिया जा सकता है। यहाँ लंगूरों के झुंड भी विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं।


जयसमंद झील के पास ही एक सुंदर बगीचा भी है। बगीचे में बड़े वृक्ष, घास, बैठने के लिए बैंच, छतरी तथा बच्चों के लिए झूले भी लगे हुए हैं। जयसमंद झील के यादगार लम्हों को तस्वीरों के रूप में संजोने की इच्छा रखने वालों के लिए यहाँ फोटोग्राफर भी उपलब्ध हैं, जो कि प्रति फोटो 50-70 रुपये शुल्क लेते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ घोड़ेवाले भी उपलब्ध हैं, जिन्हें दूरी के हिसाब से 50 रुपये या 100 रुपये चुकाकर जयसमंद के किनारे घुड़सवारी का आनंद लिया जा सकता है।



चारों ओर पहाड़ियाँ, जहाँ तक नजर जाए, वहाँ तक जल की उपस्थिति, बीच-बीच में उभरे हुए हरे-भरे टापू, चारों ओर पक्षियों का कलरव, सब कुछ मिलाकर प्रकृति की सुंदर चित्रकारी का प्रदर्शन करते हुए से प्रतीत होते हैं। सूर्य की किरणों में चाँदी से चमकते स्वच्छ जलयुक्त जयसमंद झील का यह सुरम्य वातावरण पर्यटकों को सहज ही मोहपाश में बाँध लेता है। यही कारण है कि उदयपुर घूमने आने वाले सभी सैलानी जयसमंद झील भ्रमण की इच्छा अवश्य रखते हैं।

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