जयपुर के झालाना जंगलों में इतने पैंथर 😳😳 - Yatrafiber

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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

जयपुर के झालाना जंगलों में इतने पैंथर 😳😳

झालाना लेपर्ड सफारी, जयपुर

नमस्कार प्रिय पाठकों,

          राजस्थान की राजधानी जयपुर पर्यटन स्थल के रूप में सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ बहुत सारे दर्शनीय स्थल स्थित हैं। आज मैं yatrafiber पर इन्हीं में से एक 'झालाना लेपर्ड रिजर्व' के बारे में बताने जा रही हूँ। झालाना लेपर्ड रिजर्व जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 13 किमी तथा सिंधी कैंप बस अड्डे से लगभग 12 किमी की दूरी पर स्थित है। जयपुर हवाई अड्डे से इसकी दूरी लगभग 6 किमी है।

          झालाना लेपर्ड रिजर्व, जयपुर में अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसा प्राकृतिक वन्य क्षेत्र है। पूर्व समय में यह क्षेत्र राजपरिवार की निजी सम्पत्ति में आता था तथा राजपरिवार के सदस्य यहाँ शिकार करने आते थे। वर्तमान में झालाना आरक्षित वन्य क्षेत्र है तथा यहाँ शिकार पर पूर्णतया प्रतिबंध है।

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          झालाना लेपर्ड रिजर्व लगभग 23 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस वन्य क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 45 तेंदुए मौजूद हैं। कम वन्य क्षेत्र में तेंदुओं की अधिक तादात होने के कारण सफारी के दौरान इनके दिखाई दे जाने की अत्यधिक संभावना होती है। यही कारण है कि कुछ ही समय में झालाना लेपर्ड सफारी काफी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रही है। तेंदुओं के अतिरिक्त चीतल, बारहसिंगा, नीलगाय, मरूस्थली लोमड़ी, जरख, लंगूर आदि वन्यजीव भी यहाँ देखे जा सकते हैं।

          22 अक्टूबर, 2020 को हमने झालाना लेपर्ड सफारी पर जाने की योजना बनाई। लेपर्ड सफारी सुबह व शाम दोनों समय होती है। सैलानी अपनी इच्छानुसार दोनों या किसी एक समय सफारी कर सकते हैं। टिकट का शुल्क भी उसी अनुसार लगता है। हमने सफारी के लिए शाम का समय चुना। हम तथा हमारे दो मित्र परिवार, कुल मिलाकर 6 व्यस्क तथा 2 बच्चे लेपर्ड सफारी पर जाने वाले थे। लेपर्ड सफारी के लिए टिकट ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीके से ली जा सकती हैं। हमने टिकट ऑफलाइन लीं। हम सबकी टिकट का कुल मूल्य 2400 रुपये था। वास्तव में इसमें टिकट के साथ उस जिप्सी का किराया भी शामिल था, जिसमें बैठकर हम झालाना लेपर्ड सफारी के लिए जाने वाले थे। झालाना रिजर्व में निजी वाहन द्वारा सफारी नहीं की जा सकती। वहाँ वन विभाग द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक जिप्सियों में जंगल सफारी करवाई जाती है। ये खुली इलेक्ट्रिक जिप्सी बिल्कुल भी शोर नहीं करती हैं, जिससे वन्यजीवों की प्राकृतिक गतिविधियों में व्यवधान नहीं पड़ता तथा उन्हें देखना आसान हो जाता है। एक जिप्सी में ड्राइवर के अतिरिक्त 6 लोगों के बैठने की जगह होती है।

          शाम को 4 बजे हमने सफारी शुरू की। लेपर्ड रिजर्व के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करते ही लंगूरों के झुंड द्वारा हमारा स्वागत किया गया। भारतीय ग्रे लंगूर यहाँ बड़ी तादात में पाए जाते हैं। झालाना लेपर्ड रिजर्व को तीन ज़ोन में बाँटा गया है। तीसरे ज़ोन में मानसून के समय रास्ते खराब हो जाने के कारण अभी प्रवेश निषेध था, जबकि ज़ोन-1 व ज़ोन-2 सफारी का आनंद लेने हेतु खुले थे।

          हम पहले ज़ोन-1 में गए। वहाँ भी अंदर प्रवेश करते ही वृक्षों पर लंगूरों के झुंड के झुंड देखने को मिले। हम पैंथर(तेंदुआ) देखने के लिए काफी उत्सुक थे और साथ ही मन में कई शंकाएँ भी थीं, जिन्हें दूर किया हमारे वाहनचालक (श्री वेदप्रकाश) ने। वे पिछले 4 साल से यहाँ सफारी जिप्सी चला रहे हैं, अतः काफी अनुभवी थे। लंगूरों के अतिरिक्त नीलगायों का समूह भी मैदान में घास चर रहा था। थोड़ा आगे चलने के बाद हमें चीतल हिरणों का झुंड दिखाई दिया। हरे-भरे जंगल में बेफिक्र कुलांचे भरते हिरणों को देखना एक सुखद अनुभव रहा।


          आगे के रास्ते पर हमें कई सुंदर-सुंदर प्रजातियों के पक्षी दिखाई दिए। इसके अलावा वृक्षों की भी बहुत सी प्रजातियाँ देखने को मिलीं। लेकिन वास्तव में तो हम पैंथर को देखने के लिए उतावले हो रहे थे, जिनका फिलहाल कोई अता-पता नहीं था। रिजर्व में वन्यजीवों के लिए पानी के कुण्ड सफारी के लिए बनाए गए मार्ग के आस-पास ही  बनाए गए हैं, ताकि पानी पीने आए वन्यजीवों को सैलानियों द्वारा देखा जा सके। एक जगह पानी के कुण्ड के पास कुछ देर रूककर हमने इंतजार भी किया, परन्तु कोई वन्यजीव दिखाई ना देने के कारण हम आगे बढ़ गए।

          झालाना लेपर्ड रिजर्व में जगह-जगह ट्रेप कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। पूरे ज़ोन-1 में घूमने के बाद भी हमें कोई पैंथर नहीं दिखा। अतः हमने ज़ोन-2 में जाने का निर्णय लिया। जैसे ही हम ज़ोन-1 से निकलकर ज़ोन-2 में पहुँचे, हमारे वाहनचालक के पास अन्य वाहनचालक का फोन आया कि ज़ोन-1 में पैंथर दिखाई दिया है। मोबाईल नेटवर्क उपलब्ध होने के कारण वहाँ वाहनचालक पैंथर दिखाई देने पर आपस में एक-दूसरे को सूचना दे देते हैं।

          हम वापस ज़ोन-1 में पहुँचे। वहाँ पहुँचकर पता चला कि जिस पानी के कुण्ड के पास हमने इंतजार किया था, उसी में पानी पीने के बाद एक पैंथर पास की ऊँची घास में गया है। वहाँ कई जिप्सी रूकी हुई थीं तथा सभी सैलानी दम साधे एकटक घास पर नजरें जमाए हुए थे। तभी एक जगह घास हिलती हुई नजर आई। पैंथर दिखने की उम्मीद में सभी ने वहाँ ध्यान केंद्रित किया हुआ था। लगातार हिलती घास को देखकर पता चल रहा था कि पैंथर आगे की ओर जा रहा था। फिर घास में हलचल होना बंद हो गई। कुछ देर इंतजार के बाद सबको लगा कि पैंथर शायद नीचे ढ़लान की तरफ चला गया है, लेकिन तभी उसने एक ऊँची छलांग लगाई और फिर घास में ओझल हो गया। पैंथर दिखाई देने पर सभी सैलानियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। बहुत से वन्यजीव प्रेमी लगातार अपने कैमरे में ये दृश्य कैद करने में लगे हुए थे।

          इसके पश्चात हमने ज़ोन-2 में जाने का निर्णय लिया। ज़ोन-2 में भी शुरूआती खुले क्षेत्र में नीलगायों के झुंड चरने में मग्न थे। थोड़ा आगे जाने के बाद एक जगह हमें 2-3 जिप्सी रूकी हुई दिखाई दीं। पैंथर की उपस्थिति का अनुमान लगाते हुए हम भी वहाँ पहुँचे। वहाँ पहुँचकर हमने देखा कि थोड़ी दूरी पर एक बड़े वृक्ष के ऊपर एक पैंथर आराम से बैठा हुआ था। उसे बेफिक्र बैठे देखकर ऐसा लग रहा था, मानो वह फोटो खींचने वाले वन्यजीव प्रेमियों को फोटो के लिए पोज़ दे रहा है। कभी वह आराम से पंजों पर सिर टिकाकर बैठ जाता तो कभी चौकन्ना होकर पर्यटकों की तरफ देखने लग जाता। काफी देर तक उसे निहारने के बाद हमने एक बार आगे तक पूरे ज़ोन का चक्कर लगाने का निर्णय लिया। थोड़ा आगे जाने के बाद मार्ग के किनारे-किनारे पैंथर के ताजा पगमार्क बने हुए थे। अतः वहाँ पैंथर दिखाई देने की संभावना होने के कारण हमने कुछ देर इंतजार किया, परन्तु आसपास के क्षेत्र में कोई हलचल ना होने पर हम आगे बढ़ गए। ज़ोन-2 के अंतिम छोर तक जाकर आने तक मार्ग में हमने पक्षियों की काफी प्रजातियों को देखा। आते समय भी हमने पगमार्कों के पास के क्षेत्र में कुछ देर इंतजार किया, परन्तु पैंथर नहीं दिखने पर वापस लौट पड़े।

          वापस आते समय हमने देखा कि वह पैंथर अब भी वृक्ष पर ही जमा हुआ था, अतः हम भी वहीं रूक गए। थोड़ी देर बाद पैंथर वृक्ष से नीचे उतरने लगा, यह देखकर सभी उत्साहित हो गए। नीचे उतरने के बाद 2-3 मिनट तक वहीं घास में खड़े रहने के बाद वह यकायक तेजी से दौड़ा तथा वापस वृक्ष की ऊँची डाल पर चढ़ गया। पैंथर की अठखेलियाँ देख सैलानी खुशी से झूम उठे। कुछ देर बाद पैंथर वापस वृक्ष से नीचे उतरा तथा अंदर गहन जंगल में चला गया। हमने भी एक बार फिर ज़ोन-1 की तरफ रूख मोड़ दिया।

          ज़ोन-1 में थोड़ा सा अंदर जाते ही लंगूरों की तेज आवाजें सुनकर हमें पैंथर की उपस्थिति का अंदेशा हुआ। तभी हमें एक और जिप्सी भी खड़ी हुई दिखाई दी। वहाँ पहुँचने पर उन लोगों ने बताया कि सामने घास में पैंथर बैठा हुआ है। सूखी घास में उससे मिलते-जुलते रंग के पैंथर को देखने के लिए हमारी आँखों को कुछ श्रम करना पड़ा। कुछ देर बैठे रहने के बाद पैंथर खड़ा हुआ, एक जम्हाई ली और अचानक ढ़लान पर तेजी से दौड़ा। एक बार को तो धड़कनें ही बढ़ गई, लगा कि जिप्सियों की ओर ही दौड़कर आ रहा है। फिर पता चला कि घास में छुपे पक्षियों को पकड़ना चाह रहा था। पक्षी हाथ नहीं लगे तो कुछ देर चुपचाप वहीं घास में छुप गया।

          कुछ देर बाद अचानक तेजी से दौड़कर एक वृक्ष पर चढ़ा ताकि उसपर बैठे लंगूरों में से किसी का शिकार कर सके, परन्तु लंगूर चौकन्ने थे, अतः बच निकले। पैंथर पेड़ से नीचे उतरा तथा वापस जाने लग गया। कुछ दूर जाकर फिर पलटा और एक दूसरे वृक्ष पर चढ़कर लंगूरों को पकड़ने की कोशिश की। ऊँची डालियों तक चढ़ने के बावजूद भी फूर्तिले लंगूर उसकी पहुँच से दूर चले गए। शिकार नहीं मिलने पर पैंथर वहीं पेड़ पर पैर लटकाकर बैठ गया। खुले वन्यक्षेत्र में यूँ पैंथर को शिकार पकड़ने की कोशिश करते देख सभी रोमांचित हो उठे।

          शाम गहरी होने लगी थी। रिजर्व बंद होने का समय होने वाला था, अतः हमने एक बार पुनः पूरे ज़ोन का चक्कर लगाकर आने का निर्णय लिया। दिनभर आराम करने के बाद शाम को माँसाहारी जीव शिकार हेतु निकलते हैं, अतः उनके दिखने की संभावना अधिक होती है। पूरे ज़ोन का चक्कर लगाने पर भी हमें कोई और वन्यजीव नहीं दिखा। 6.15 बज चुके थे, अतः हम भी वन्यजीव क्षेत्र से बाहर आ गए।


मानसून के बाद हरियाली से लदी अरावली की पहाड़ियों से घिरे खुले वन्यक्षेत्र में विचरण करते वन्यजीवों को देखना काफी रोमांचभरा अनुभव था। इसके अतिरिक्त जंगल के उबड़-खाबड़ मार्गों पर दौड़ती खुली जिप्सी में सफारी करने का मजा ही कुछ और था। बाहर से जयपुर आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक शानदार भ्रमण स्थल है और यदि आप जयपुरवासी हैं तो कम से कम एक बार आपको झालाना लेपर्ड रिजर्व में सफारी का अनुभव अवश्य लेना चाहिए। यकीनन आपकी सफारी बहुत रोमांचक और मजेदार रहेगी।

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! शानदार। लेखन की शैली अच्छी है। अनुभूति को पूर्ण अभिव्यक्ति मिल रही है।

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  2. मैडम लेखन शैली काफी अच्छी हैं।

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